रविवार, 4 नवंबर 2012

आज की फ़िल्म ......"दी किड"(चार्ली चैपलिन)

पिछले पोस्ट में मैंने आपको सिनेमा का कुछ इतिहास बताने की कोशिश की इस पोस्ट में मैं आपके साथ एक फिल्म बांटना चाहता हूँ ,चार्ली चैपलिन की एक फिल्म। लेकिन इस फिल्म को आपके साथ बांटने से पहले मैं आपको  चार्ली चैपलिन के बारे में कुछ जानकारी दे दूं .हालाँकि, चार्ली कोई पहले फिल्म मेकर नहीं पर जो बात चलिए में थी शायद उस समय के बड़े फिल्मकारों में न थी

कुछ चार्ली के बारे में  

   चैप्लिन, मूक फिल्म युग के सबसे रचनात्मक और प्रभावशाली व्यक्तित्वों में से एक थे जिन्होंने अपनी फिल्मों में अभिनय, निर्देशन, पटकथा, निर्माण और अंततः संगीत दिया.मनोरंजन के कार्य में उनके जीवन के 75 वर्ष बीते, विक्टोरियन मंच और यूनाइटेड किंगडम के संगुत कक्ष में एक शिशु कलाकार से लेकर 88 वर्ष की आयु में लगभग उनकी मृत्यु तक।उनकी उच्च-स्तरीय सार्वजनिक और निजी जिंदगी में अतिप्रशंसा और विवाद दोनों सम्मिलित हैं। 1919 में मेरी पिक्फोर्ड , डगलस फैर्बंक और डी.डब्ल्यू.ग्रिफ़िथ के साथ चैप्लिन ने यूनाइटेड आर्टिस्ट्स  की सह-स्थापना की।

       




अब  कुछ बाते आज की फ़िल्म पर 




चलिए अब मुझे एसा लगता है की हमे फिल्म की बात करनी चाहिए। आज मैं जिस फिल्म के बारे में आपको बताने जा रहे हु वो है "दी किड " (the kid) 1921
ये फिल्म चार्ली की फिल्मो में से मेरी एक पसंदीदा फिल्म है। इस फिल्म की पूरी कहानी तो मैं आप सब को नहीं नहीं बताऊंगा पर हा कुछेक चीज़े जरुर बताऊंगा फिल्म का ओपनिंग टाइटल ही कहता है "A comedy with a smile--and perhaps a tear" जो अपने आप ही में पूरी फिल्म का सार है। इस फिल्म में "EDNA" जो की एक अविवाहित स्त्री है वह एक शिशु को जन्म दे कर \एक चैरिटी अस्पताल से बाहर आती है और उसे एक महंगी गाडी में छोड़ देती है लेकिन वह गाडी चोरी की है जिसे दो चोरो में चुराया है। जब उन्हें इस बच्चे का पता चलता है तो वह उसे सड़क पर लावारिस छोड़ देते है और ये बच्चा एक आवारा लड़के (चार्ली) को मिल जाता है जो पेले तो इससे छुटकारा पाना चाहता है परन्तु बाद में अपना लेता है .....आआगे की कहानी जानने के लिए आपको फिल्म देखि पड़ेगी ,विश्वास कीजिये आप ये फिल्म देखकर रत्ती भर भी निराश नहीं होंगे मैं यहाँ कुछ लिनक्स और वीडियोस शेयर कर रहा हु और टोरेंट भी जिससे आप ये फिल्म डाउनलोड कर पाए और आनंद ले सके। http://1337x.org/torrent/252358/0/

    
(चार्ली के जीवन की जानकारियों का स्रोत-विकिपीडिया)

बुधवार, 24 अक्टूबर 2012

सिनेमा का जाना-माना परन्तु महत्वपूर्ण इतिहास

सिनेमा को बीसवीं शताब्दी की सबसे लोकप्रिय कला माना जाता है .बीसवीं शताब्दी के संपूर्ण दौर में मनोरंजन के सबसे जरूरी साधन के रूप में स्थापित करने में बिजली का बल्ब, आर्कलैंप, फोटो सेंसिटिव केमिकल, बॉक्स-कैमरा, ग्लास प्लेट पिक्चर निगेटिवों के स्थान पर जिलेटिन फिल्मों का प्रयोग, प्रोजेक्टर, लेंस ऑप्टिक्स जैसी तमाम खोजों ने सहायता की है. मेरा मानना है की फ़िल्म या सिनेमा वह उपकरण है जिससे हम अपनी संवेदनाओ और समाज की ज़रूरतों को बखूबी आम जनता टाक पंहुचा सकते है .
        1895 में लूमियर ब्रदर्स ने पेरिस सैलून सभाभवन में इंजन ट्रेन की पहली फिल्म प्रदर्शित की थी। इन्हीं लूमियर ब्रदर्श ने 7 जुलाई, 1896 को बम्बई  के वाटसन होटल में फिल्म का पहला शो भी दिखाया था। एक रुपया प्रति व्यक्ति प्रवेश शुल्क देकर बंबई के संभ्रात वर्ग ने वाह-वाह और करतल ध्वनि के साथ इसका स्वागत किया। उसी दिन भारतीय सिनेमा का जन्म हुआ था। जनसमूह की जोशीली प्रतिक्रियाओं से प्रोत्साहित होकर नावेल्टी थियेटर में इसे फिर प्रदर्शित किया गया और निम्न वर्ग तथा अभिजात्य दोनों वर्गों को लुभाने के लिए टिकट की कई दरें रखी गईं। रूढ़िवादी महिलाओं के लिए जनाना शो भी चलाया गया।
      शुरुआती दिनों में विवेकशील भारतीय दर्शक विदेशी फिल्मों से स्वयं को जुड़ा हुआ नहीं पाते थे। 1901 में एच.एस. भटवाड़ेकर ( 'सावे दादा' के नाम से विख्यात) ने पहली बार भारतीय थीम और न्यूज रीलों की शूटिंग की। इसके तुरंत बाद तमाम यूरोपीय और अमेरिकी कंपनियों ने भारतीय दर्शकों के लिए भारत में शूट की गई भारतीय न्यूज रीलों का लाभ लिया। फरवरी, 1901 में कलकत्ता  के क्लासिक थियेटर में मंचित ‘अलीबाबा’, ‘बुद्ध’, ‘सीताराम’ नामक नाटकों की पहली बार फोटोग्राफी हीरालाल सेन ने की। यद्यपि भारतीय बाजार यूरोपीय और अमेरिकी फिल्मों से पटा हुआ था, लेकिन बहुत कम दर्शक इन फिल्मों को देखते थे क्योंकि आम दर्शक इनसे अपने को अलग-थलग पाते थे। मई 1912 में आयातित कैमरा, फिल्म स्टॉक और यंत्रों का प्रयोग करके हिंदू संत ‘पुण्डलिक’ पर आधारित एक नाटक का फिल्मांकन आर. जी. टोरनी ने किया जो शायद भारत की पहली फुललेंथ फिल्म है।
   तो ये था  सिनेमा का कुछ महत्वपूर्ण इतिहास , ज़ाहिर है ये कुछ ज्यादा तो नहीं पर हाँ मेरा काम आपको सिनेमा के इतिहास से अवगत कराऊँ मेरा मुख्य उद्देश्य है आप सभी तक वह फिल्मे पहुचाना जो मेरे दिल के बेहद करीब है तो अपने अगले पोस्ट में मैं एसा ही कुछ पेश करूँगा.



(इतिहास का स्रोत- विकिपीडिया एवं अन्य वेबसाइट्स)