बुधवार, 6 फ़रवरी 2013

नो मैन्स लैंड (2001)

नो मैन्स लैंड (बोस्नियाई: Ničija zemlja) वर्ष 2001 में बनी एक युद्ध फिल्म है जो की बोस्नियाई युद्ध के बीच में सेट की गई है है. फिल्म एक दृष्टान्त है और बोस्नियाई लेखक और निर्देशक डेनिस Tanović की शुरुआत के रूप में चिह्नित है. यह एक बोस्निया हर्जेगोविना, स्लोवेनिया, इटली, फ्रांस, बेल्जियम और ब्रिटेन में कंपनियों के बीच सह उत्पादन है. फिल्म 2001 में सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा फिल्म के लिए ऑस्कर जीता.
बोस्निया और हर्जेगोविना दो युद्धरत पक्षों के बीच भारी लड़ने के समय में 1993 के दौरान. संघर्ष में दूसरे पक्षों से दो सैनिकों, नीनो और Ciki, नो मैन'स लैंड में फसें हैं जबकि , एक तीसरा सैनिक एक जीवित फंदा बन जाता है.
फिल्म का निर्देशन ज़बरदस्त है, बाकि दुनिया के अलावा भारतियों को यह फिल्म विशेष रूप से याद है क्योंकि इस फिल्म की स्पर्धा ऑस्कर में भारतीय फिल्म लगान से थी हालाँकि बाद में इसी फिल्म ने ऑस्कर जीता 


http://torrentz.in/13c495711666f75130ddf2c8c09f0c0afacef625

रविवार, 20 जनवरी 2013

ग्लैडिएटर

ग्लैडिएटर (Gladiator) साल  २००० में बनी एतिहासिक अमेरिकी फ़िल्म है जिसका निर्देशन रिडली स्कॉट ने किया है और फ़िल्म में रसल क्रो, जोआक्विन फ़िनिक्स, कोणी नेल्सन, राल्फ़ मोलर, ऑलिवर रीड, डोमोन होंसन, डेरेक जेकोबी, जॉन शर्प्नेल और रिचर्ड हैरिस मुख्य भूमिकाओं में है। क्रो ने फ़िल्म में वफ़ादार रोमन जनरल मैक्सिमस डेसिमस मेरेडियस की भूमिका निभाई है जो शहंशाह के बेटे कोमोडोस को धोखा दे देता है जो अपने पिता की हत्या कर उनका सिंहासन हासिल कर लेता है। गुलामी की ज़िंदगी जीने के लिए मजबूर हुए मैक्सिमस को ग्लैडिएटर खेलों में उतरना पड़ता है ताकि वह शहंशाह द्वारा हुए अपने परिवार के क़त्ल का प्रतिशोध ले सके।  

5 मई, 2000 को संयुक्त राज्य अमेरिका में रिलीज़, ग्लेडिएटर को बॉक्स ऑफिस में असीम सफलता प्राप्त थी . फिल्म ने कई पुरस्कार जीते, विशेष रूप से 73 अकादमी पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ फिल्म और क्रो के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता सहित पाँच अकादमी पुरस्कार.

फिल्माने के लिए तैयार करने में कई महीनों, स्कॉट साजिश के ढांचे को विकसित करने के लिए खर्च विकासशील स्टोरीबोर्ड.छह सप्ताह से अधिक, उत्पादन के सदस्यों रोमन साम्राज्य की सीमा के भीतर उसके पतन से पहले इटली, फ्रांस, उत्तरी अफ्रीका सहित विभिन्न स्थानों और इंग्लैंड फिल्म सहारा, सेट, और वेशभूषा के सभी मदों की उच्च लागत और अनुपलब्धता की वजह से चालक दल के सदस्यों द्वारा निर्मित किया गया.इस्पात कवच और में 550 सूट के एक सौ सूट रॉड वास द्वारा किए गए थे और उनकी कंपनी Armordillo. अद्वितीय प्रणाली छिड़काव polyurethane Armordillo द्वारा विकसित किया गया था और इस उत्पादन के लिए बीड़ा उठाया था.एक तीन महीने की अवधि के दौरान, 27,500 कवच के घटक के टुकड़े किए गए थे  
और भी न जाने कितने इसे दिलचस्प तथ्य है इस फिल्म के बारे में जो इस फिल्म को देखने के योग्य बनाती है आशा है आप सबको ये फिल्म पसंद आएगी http://torrentz.in/e0f372be97c3fc403b7ff3e04c50154009591b33

दिल चाहता है (2001)

दिल चाहता है फिल्म फरहान अख्तर की निर्देशित पहली फिल्म है  इसके मुख्य सितारे थे   आमिर खान, सैफ अली खान, अक्षय खन्ना, प्रीति जिंटा, सोनाली कुलकर्णी, और डिंपल कपाडिया। न सिर्फ फरहान ने इस फिल्म को निर्देशित किया बल्कि ये उनकी लिखी हुई भी पहली फिल्म है , फिल्म की कहानी आधुनिक शेहरी जीवन में रह रहे तीन युवा दोस्तों की ज़िन्दगी पर सेट की गई। फिल्म इन तीन दोस्तों की ज़िन्दगी में आये बदलावों और उतार चढ़ाव के आजू बाजू घूमती है 

ये फिल्म न केवल बॉक्स ऑफिस पर सफल साबित हुई पर समीक्षकों द्वारा भी इसकी काफी तारीफ़ भी की गई उसी साल फिल्म ने सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए राष्ट्रीय पुरूस्कार भी जीता , रेडिफ ने इसे दशक की सर्वश्रेष्ठ फिल्म बताया। 


फिल्म की कहानी में आकाश (आमिर खान) प्यार में विश्वास नहीं करता, तो वह गर्लफ्रेंड दो सप्ताह से अधिक के लिए नहीं रखा करता है। समीर (सैफ अली खान) एक मिलनसार, सख्त रोमांटिक लेकिन भ्रमित आदमी है और जब भी वह एक लड़की के लिए आकर्षित होता है उसे लगता है की उसे  सच्चा प्यार मिल गया है. सिद्धार्थ (अक्षय खन्ना), या सिड, पेशे और तीन सबसे परिपक्व एक कलाकार, तुच्छ रोमांस में कोई दिलचस्पी नहीं है और उनके काम करने के लिए समर्पित है. इन्ही तीनो की जिंदगियो में आये उतार-चढ़ाव के इर्द गिर्द ही फिल्म की पूरी कहानी चलती है और उसी में जीवन की सारी सच्चाइयों से रूबरू होते है तीनो सब्जेक्ट के मामले में फिल्म बहुत अच्छी है. अगर आप लोगों से किसी कारणवश ये फिल्म मिस हो गई हो तो यहाँ मैं यु ट्यूब लिंक डाल रहा हु आप लोग ऑनलाइन ही इस फिल्म का लुत्फ़ उठा सकते हैं 



 

सोमवार, 14 जनवरी 2013

गाइड (1965)

गाइड 1965  एक हिन्दी देव आनंद और वहीदा रहमान अभिनीत फिल्म है. यह विजय आनंद, जिन्होंने पटकथा के लिए योगदान भी दिया,के द्वारा निर्देशित फिल्म थी. ये फिल्म समीक्षकों द्वारा प्रशंसित उपन्यास, आर.के. नारायण द्वारा गाइड, पर आधारित है, और व्यापक रूप से भारतीय फिल्म उद्योग की कृतियों में से एक मानी जाती है यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर एक बेहतरीन हिट साबित हुई. फिल्म एसडी बर्मन द्वारा यादगार संगीत एवं मुख्य कलाकारों द्वारा अपने उत्कृष्ट अभिनय की वजह से यादगार साबित हुआ. टाइम पत्रिका में गाइड पांचवे नंबर पर सर्वश्रेष्ठ बॉलीवुड क्लासिक्स की अपनी सूची पर सूचीबद्ध है.  
फिल्म शुरू होती है जब राजू जेल से रिहा हो रहा है, और फिर कहानी फ़्लैशबैक में चलती है। राजू एक गाइड है, जो पर्यटकों को ऐतिहासिक स्थलों में घुमाकर अपनी कमाई करता है। एक दिन, एक अमीर और बूढ़ा पुरातत्वविद् मार्को उनकी युवा पत्नी रोज़ी (वहीदा रहमान), जो कि एक वेश्या की बेटी है, के साथ शहर में आता है। मार्को शहर के बाहर गुफाओं में कुछ शोध करना चाहता है और अपने गाइड के रूप में राजू को काम देता है। वह एक नई गुफा का पता लगाता है और अपने काम में इतना खो जाता है कि रोज़ी पर ध्यान नहीं देता। जब मार्को गुफा की खोज में लगा हुआ है, राजू रोज़ी को सैर सपाटे के लिए ले जाता है और उसके नृत्य क्षमता और मासूमियत की भूरि-भूरि प्रशंसा करता है। रोज़ी राजू को बताती है कि वह एक वेश्या की बेटी है और वह समाज में सम्मान हासिल करने के लिए कैसे मार्को की पत्नी बनी, लेकिन उसके लिए उसने एक बड़ी कीमत चुकाई है क्योंकि उसे नृत्य का जुनून है जबकि यह मार्को को सख़्त नापसंद है। इस बीच, रोज़ी जहर खाकर आत्महत्या करने की कोशिश करती है। इस घटना की खबर मिलने पर मार्को गुफाओं से वापस आता है और रोजी को ठीक देख कर काफ़ी नाराज़ होता है और रोज़ी से कहता है कि उसकी आत्महत्या करने की कोशिश एक नाटक थी, अन्यथा अगर वह वास्तव में मरना चाहती थी तो अधिक नींद की गोलियाँ खाकर यह आसानी से कर सकती थी। एक दिन जब रोज़ी गुफाओं में जाती है तो पाती है कि मार्को एक आदिवासी लड़की के साथ प्रेम रच रहा है। इसको लेकर रोज़ी और मार्को में काफ़ी कहा-सुनी होती है और रोज़ी एक बार फिर आत्महत्या करने की कोशिश करती है।
 यह फिल्म उतार चढ़ाव से भरपूर है और इसका क्लाइमेक्स अपने आप में अलग है! रिहाई होने के बाद राजू अकेला भटकता रहता है। गरीबी, निराशा, भूख और अकेलेपन के कारण वह इधर-उधर भटकता है। एक दिन वह कुछ साधुओं की टोली के साथ एक छोटे से गाँव के पुराने मंदिर के अहाते में सो जाता है और अगले दिन उस मंदिर से निकलने से पहले एक साधु सोते हुये राजू के ऊपर पीताम्बर वस्त्र उढ़ा देता है। अगले दिन गांव का एक किसान, भोला, पीताम्बर वस्त्र में सोते हुये राजू को साधु समझ लेता है। भोला की बहन शादी न करने की ज़िद कर रही थी। भोला उसे राजू के पास लाता है और राजू उसे समझा-बुझाकर शादी के लिए राज़ी कर लेता है। भोला और भी आश्वस्त हो जाता है कि राजू एक साधु है। वह यह बात सारे गांव में फैला देता है। गांव वाले उसे साधु मान लेते हैं और उसके लिए खाना और अन्य उपहार लेकर आते हैं और अपनी समस्याएं भी उसको बताते हैं। अब राजू उस गांव में स्वामी जी के नाम से जाना जाने लगता है और गांव के पण्डितों से उसके मतभेद भी हो जाते हैं। गांव वालों को एक कहानी सुनाते हुये राजू उनको एक साधु के बारे में बताया कि एक बार एक गांव में अकाल पड़ गया था और उस साधु ने १२ दिन तक उपवास रखा और उस गांव में बारिश हो गई।
संयोग से उस गांव के इलाके में भी अकाल पड़ जाता है। गांव का एक मूर्ख राजू से वार्तालाप के दौरान सुनता कुछ और है और गांव वालों को आकर बताता है कि स्वामी जी ने वर्षा के लिए १२ दिन का उपवास करने का निर्णय लिया है। राजू पशोपेश में पड़ जाता है। पहले तो राजू इसका विरोध करता है। वह भोला को यहाँ तक बताता है कि वह एक सज़ायाफ़्ता मुल्ज़िम है जिसे एक लड़की के कारण सज़ा मिली है। लेकिन इस पर भी गांव वालों की उस पर आस्था कम नहीं होती और वह कुख्यात डाकू रत्नाकर का उदाहरण देते हैं जो आगे चलकर वाल्मीकि के नाम से प्रसिद्ध होते हैं।
अंततः राजू उपवास के लिए राज़ी हो जाता है हालांकि उसे विश्वास नहीं होता कि मनुष्य के उपवास रखने में और वर्षा होने में कोई संबन्ध है। लेकिन उपवास के दौरान राजू को आध्यात्मिक विकास होता है और उसकी ख्याति दूर-दूर तक फैल जाती है। हज़ारों की संख्या में दर्शनार्थी उससे आशीर्वाद लेने आने लगते हैं। उसकी ख्याति सुनकर रोज़ी, उसकी माँ और उसका दोस्त ग़फ़्फ़ूर भी उससे मिलने आते हैं। ग़फ़्फ़ूर को भोला मंदिर के अन्दर आने नहीं देता है क्योंकि वह दूसरे धर्म का है। राजू मध्यस्थता करता है और कहता है कि इन्सानियत, प्रेम और परोपकार ही उसका धर्म है। धीरे-धीरे राजू की हालत नाज़ुक होती जाती है। आखिर में बारहवें दिन वर्षा होती है लेकिन राजू का निधन हो जाता है। जहाँ एक ओर मन्दिर के बाहर गांव वाले खुशी से झूम रहे हैं वहीं दूसरी ओर मन्दिर के अन्दर उसके स्वजन उसकी मृत्यु का मातम मनाते हैं।





फिल्म ट्रीटमेंट के मामले में ६० के दशक की सबसे नयी फिल्म साबित हुई औरहिंदी फिल्म जगत के १०० साल के इतिहास में मील का पत्थर साबित हुई आशा है आप सब को भी ये उतनी ही पसंद आएगी जितनी मुझे है

 मैं यहाँ यू ट्यूब विडियो डाल रहा हूँ आप इस पूरी फिल्म का मज़ा इस लिंक से उठा सकते हैं/

दी गॉडफादर



द गॉडफ़ादर एक 1972 की अमेरिकी थ्रिलर फिल्म है, जो मारिओ प्युज़ो के इसी नाम के उपन्यास  पर आधारित है और प्यूज़ो, कोपोला, और राबर्ट ट्रऊन (श्रेयरहित) की पटकथा के आधार पर फ्रांसिस फोर्ड कोपोला द्वारा निर्देशित की गई है.इसके सितारे हैं मार्लन ब्रैंडो,एल पचीनो, जेम्स कान,  रिचर्ड एस कैस्टेलानो,राबर्ट डूवाल, स्टर्लिंग हेडेन, जॉन मारले ,रिचर्ड कौनटी और डैयान किटन, तथा इसमें जॉन कैज़ेल, टालिया शैर, ऍल मार्टिनो, और एब विगोडा ने भी अभिनय किया है. कहानी 1945 से 1955 तक दस वर्षों की अवधि में विस्तृत है और एक काल्पनिक इतालवी अमेरिकी अपराधी परिवार कोरलियॉन का इतिवृत्त दर्शाती है. दो उत्तरकथाएं बाद में प्रस्तुत हुईं: 1974 में गॉडफ़ादर भाग II और 1990 में गॉडफादर भाग III .
द गॉडफ़ादर ने सर्वोत्तम फ़िल्म, सर्वश्रेष्ठ अभिनेता, और रूपांतरित सर्वश्रेष्ठ पटकथा के लिए अकादमी पुरस्कार प्राप्त किया और इसे संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रीय फ़िल्म रजिस्ट्री में संरक्षण के लिए चुना गया है. इसके अलावा, यह अमेरिकी सिनेमा के इतिहास में दूसरी महानतम फ़िल्म के रूप में अमेरिकन फ़िल्म इंस्टीट्यूट की सूची में शामिल है.

फ़िल्म को अंतर्राष्ट्रीय आलोचकों और जन साधारण के बीच काफ़ी सम्मान हासिल है और इसे नियमित रूप से सदाबहार सर्वश्रेष्ठ फ़िल्मों में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया जाता है. इसे एंटरटेनमेंट वीकली द्वारा सर्वकालिक महानतम फ़िल्म के रूप में चुना गया, और अब इसे अमेरिकी फ़िल्म संस्थान द्वारा - अमेरिकी सिनेमा के इतिहास में - सिटीज़न केन के पीछे - दूसरे महानतम फ़िल्म के रूप में स्थान दिया गया है. 2002 के दौरान, अंतर्राष्ट्रीय आलोचकों के साइट एंड साउंड सर्वेक्षण में, द गॉडफ़ादर को (द गॉडफ़ादर भाग II के साथ) सदाबहार चौथा सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म का दर्जा दिया गया.दोनों, द गॉडफ़ादर और गॉडफादर भाग II को संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रीय फ़िल्म रजिस्ट्री में संरक्षण के लिए क्रमशः 1990 और 1993 में चुना गया.
नीनो रोटा द्वारा मुख्य विषय-धुन का साउंडट्रैक भी समीक्षकों द्वारा काफ़ी सराहा गया; मुख्य विषय-धुन ("स्पीक साफ़्टली लव") काफ़ी विख्यात है और व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है (अधिक जानकारी के लिए देखें स्वर-लिपि विवाद).
निर्देशक स्टेनली कुबरिक का मानना था कि संभवतः द गॉडफ़ादर सदाबहार सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म थी, और इसमें बेशक़ बेहतरीन कलाकार थे.
पिछली गैंगस्टर फ़िल्मों में गिरोहों को एक पीड़ित बाहरी व्यक्ति के नज़रिए से देखा गया था.इसके विपरीत, द गॉडफ़ादर , भ्रष्ट समाज की एक प्रतिक्रिया के रूप में, माफिया का गैंगस्टर परिप्रेक्ष्य प्रस्तुत करता है. हालांकि कोरलियॉन परिवार को बेहद अमीर और शक्तिशाली के रूप में प्रस्तुत किया गया है, लेकिन इस बात का कहीं भी संकेत नहीं है कि पैसा कहां से आता है, कोई वेश्यावृत्ति, जुआ, ऋणों की धोखेबाज़ी या धमकी देकर पैसा ऐंठने के अन्य तरीक़ों का चित्रण भी नहीं है. एक आपराधिक प्रति-संस्कृति की स्थापना, खंडनात्मक लैंगिक रूढ़िबद्धता को अनुमत करता है, जिसे फ़िल्म के आकर्षण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है. ( डॉन वीटो रोने वाले जॉनी फ़ॉन्टेन से कहता है."तुम एक मर्द की तरह बर्ताव कर सकते हो!").
वास्तविक-जीवन के गैंगस्टरों ने फ़िल्म के प्रति उत्साहपूर्ण प्रतिक्रिया जताई. गैम्बिनो अपराधी परिवार के विगत उप-सरगना, सैल्वटोर "सैमी द बुल" ग्रेवानो ने कहा: "मैं दंग होकर फ़िल्म से बाहर निकला .... मेरा मतलब है, मैं तैर कर थियेटर से बाहर आया. शायद यह उपन्यास था, लेकिन मेरे लिए तो, वह हमारा जीवन था. यह अविश्वसनीय था. मुझे याद है, मैंने कई लोगों, दोस्तों से बात की, जिन्होंने ठीक मेरे जैसा ही महसूस किया."


ये गॉडफादर फिल्म का ट्रेलर है आशा है आप लोग इसे  देख कर इतने ज्यादा प्रभावित हो की ये फिल्म देखने के लिए मजबूर हो जाएँ



इस फिल्म का टोरेंट लिंक मैं दे रहा हूँ आप चाहे तो डाउनलोड् कर सकते हैं http://torrentz.in/dca4d0e24802c0c912e92a69c97b84cdea7ad6ca